(दृश्य है राजश्थानके कीसी न्यायालयका )
आजादी |
जज साहिबा मै आपको हाथ जोड़के बिनती करती हु मुझे बचा लीजिये |
अरे पर खुलके बताओ क्या हुआ ???
मेरे माता पिता मेरी शादी करवा रहे है |
हा तो इसमें गलत क्या है ?
गलत है जज साहिबा बहुत गलत है |
जरा ठीक से समजाओ मुझे |
मेरे ससुराल वाले मुझे नौकरी करने से मना कर रहे है ,
मेने इतनी पढ़ाई की उसका क्या ?
आप मुझे मेरी ''आजादी'' दिलवाईये बस |
आजादी शब्द सुनके जज साहिबा बिस साल पीछे चली गयी |
अगर बिस शाल पहले उसे आजादी मिली हुई होती तो वो आज जज साहिबा नहीं ,
किसी सरकारी शाला में शिक्षक महोदया होती |
लेखक - अमित गीरी गोस्वामी
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