Thursday, November 8, 2018

आज़ादी

 (दृश्य है राजश्थानके कीसी न्यायालयका )
आजादी 
जज साहिबा मै आपको हाथ जोड़के बिनती करती हु मुझे बचा लीजिये | 
अरे पर खुलके बताओ क्या हुआ ???
मेरे माता पिता मेरी शादी करवा रहे है | 
हा तो इसमें गलत क्या है ?
गलत है जज साहिबा बहुत गलत है | 
जरा ठीक से समजाओ मुझे | 
मेरे ससुराल वाले मुझे नौकरी करने से मना कर रहे है ,
मेने इतनी पढ़ाई की उसका क्या ? 
आप मुझे मेरी ''आजादी''  दिलवाईये बस | 
आजादी शब्द सुनके जज साहिबा बिस साल पीछे चली गयी | 
अगर बिस शाल पहले उसे आजादी मिली हुई होती तो वो आज जज साहिबा नहीं ,
किसी सरकारी शाला में शिक्षक महोदया होती | 
लेखक - अमित गीरी गोस्वामी 

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